कुशीनगर: कसया के दीवानी न्यायालय के बगल में शिक्षक कॉलोनी में स्थित एक निजी विद्यालय में बगहा बिहार के सुप्रसिद्ध शायर डॉक्टर शकील मोईन के सम्मान में एक शानदार मुशायरा/कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मुशायरा/कवि सम्मेलन में जनपद के वरिष्ठ शायरों तथा कवियों ने प्रतिभाग किया तथा रचना पाठ करते हुए वाह वाही लूटी। कार्यक्रम की शुरुआत डॉक्टर मोईन एवं पूर्वांचल के वरिष्ठ शायर डॉक्टर आरडीएन श्रीवास्तव, एवं डॉक्टर सुधाकर त्रिपाठी, डीके पांडे पत्रकार को अंगवस्त्र तथा फूल माला से स्वागत के साथ हुआ। तत्पश्चात कवि आकाश महेशपुर ने सरस्वती वंदना पढ़कर कार्यक्रम का विधिवत आगाज किया। अध्यक्षता सेवानिवृत्ति प्रधानाचार्य डॉक्टर आरडीएन श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में प्रारंभिक संचालन मशहूर संचालक मुजीबुल्लाह राही ने किया, तत्पश्चात मुशायरा और कवि सम्मेलन का संचालन वकार वाहिद ने किया। कार्यक्रम के पहले सत्र के अंतर्गत डॉक्टर शकील मोईन व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया, जिसमें वरिष्ठ शायर डॉक्टर इम्तियाज समर, डॉक्टर आर्शी बस्तवी एवं वरिष्ठ कवि आर के भट्ट बावरा ने डॉक्टर शकील मोईन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। विद्वत जनों ने डॉक्टर मोईन को उर्दू अदब के साथ-साथ भाषाई एकरूपता एवं हिंदुस्तानी रिवायत की एक जीती जागती मिसाल बताया। डॉ मोईन देश के कोने-कोने में जाने माने बड़े-बड़े शायरों के साथ मंच साझा किया है। आपकी गजलों शेर और नज़्मों में संवेदना की गहराई है, वहीं संबंधों मिठास भी है। मुशायरा/कवि सम्मेलन के दौरान डॉक्टर अर्शी बस्तवी ने अपना शेर कुछ यूं पढा, “हमारे शहर में कुछ लोग हमसे जलते हैं, इसीलिए हम कर उठा कर चलते हैं।” संतोष संगम ने अपनी रचना में पढ़ा “आओ मिलकर कुछ पहल हम करें यारों, गांव अपना निहाल हो जाए।” आकाश भोजपुरी ने पढ़ा “जो अपने सामने हर शख्स को कंकर समझता है, ज़माना ऐसे लोगों को कहां बेहतर समझता है।” कृष्ण श्रीवास्तव ने अपने बेहतरीन अंदाज में मज़हिया ग़ज़ल प्रस्तुत किया “नाज़ उनके यूं उठाना चाहिए, मार बेलन की भी खाना चाहिए।” कवयित्री रुबी गुप्ता ने पढ़ा “बात मेरी भी मानिए साहब, एक नज़र मुझ पर भी डालिए साहब।” डॉक्टर इम्तियाज अहमद ने अपना शहर कुछ यूं पढ़ा “चेहरा उदास दिखता है मुस्कान नहीं है, इस दौर में हंसना कोई आसान नहीं है।” कवि आर के भट्ट बरा ने पढ़ा “तुमको देखा तो मुझको याद आया, वो ज़माना ज़माने बाद आया।” संचालक एवं शायर मुजीबुल्लाह राही ने पढ़ा “रंग लाई जो किस्मत मेरी उनका दिल मेरा घर हो गया, सारी दुनिया हंसी हो गई प्यार का जब असर हो गया।” वका़र वाहिद ने पढ़ा “जो नेता की गुलामी करके खुश है, वह सारी उम्र मतदाता रहेगा।” गोरखपुर से पधारे कवि प्रदीप मिश्रा ने अपने शानदार गजलें पढ़ी। अंत में विद्यालय की प्रबंधक फौजिया परवीन ने सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पत्रकार आफताब आलम, समाजसेवी अख्तर सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।
