25 के उम्र में क्रांतिकारी 27 में शहादत, भूल नहीं सकते अश्फाक़ उल्लाह खां की आदत: यूपीएससी उम्मीदवार

कुशीनगर:अश्फ़ाकुल्लाह खान का नाम भारत के उन क्रांतिकारियों में गिना जाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते प्राण न्योछावर कर दिए। यूपीएससी उम्मीदवार उमर अंसारी ने बताया कि 25 साल की उम्र में अश्फाक़ुल्लाह खां ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार की नाक के नीचे से सरकारी खजाना लूट लिया था। जिसके बाद पूरी ब्रिटिश सरकार को मुंह की खानी पड़ी। इस घटना को ‘काकोरी कांड’ से जाना जाता है।’काकोरी कांड’ के लिए उन्हें फैजाबाद जेल में 19 दिसंबर 1927 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था, साथ ही साथ बता दें कि अशफाक उल्ला के साथ इस कांड में राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा हो गई और सचिंद्र सान्याल और सचिंद्र बख्शी को काला पानी की सजा दी गई थी। बाकी क्रांतिकारियों को 4 साल से 14 साल तक की सजा सुनाई गई थी। इनका जन्म यूपी के सहारनपूर में हुआ था। इनके पिता पठान परिवार से ताअल्लुक़ रखते थे। इनके घर के सभी लोग सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन अशफाक को बचपन से ही देश के लिए कुछ करना था। बंगाल के क्रांति कारियो का इनके जीवन पर बहुत प्रभाव था, ये स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ कविता भी लिखते थे, इन्हे घुड़सवारी, तैराकी और निशानेबाजी का भी शौक था। इस सब से ये मालूम होता है कि अश्फ़ाकुल्लाह खान का देश की आज़ादी में अहम योगदान रहा।

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