एक इमाम की जि़म्मेदारी, पुरी क़ौम पर सबसे भारी

कुशीनगर(उ.प्र.):  इमाम जिसे हिंदी लफ्ज़ में धर्मगुरु के नाम से जानते हैं इनकी जिम्मेदारी इतनी बड़ी होती है कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते। दिन व रात के चौबीस घंटो तक एक इमाम अपनी क़ौम की खिदमत के लिए हाज़िर रहता है और मुसलमानों को नसीहत के द्वारा ईमान को बचाने व कुरआन व हदीस की बातें बताने की कोशिश करता है लेकिन इसके बदले में इमाम को कुछ ज्यादा अज्र भी नहीं मिलता और फितनेबाज लोगों से सामना भी करना पड़ता है। ये वाज़िह है कि हर इमाम के लिए दुश्वारी का सामना व परेशानियों को सहना आम बात है लेकिन ऐसे में भी कुछ बेबाक़ किस्म के अइम्मा हैं जो अपनी बात या शरीअ़त की बात करने में बिल्कुल भी रेयायत नहीं करते और बेबाकी़ से अवाम तक अपनी बात पहुंचाते हैं। शर्म तो इस बात पर आती है कि अइम्मा की बातों पर अमल करने के बजाए जेहालत के नशे में चूर लोग आलिमों पर इल्जाम लगाना शुरू कर देते हैं जो कि बड़ी शर्मिंदगी की बात है साथ ही साथ हाफ़िज़ रज़ा हुसैन ने बताया कि ये सब ला इल्मी यानि जेहालत की पहचान है अगर लोगों के पास इल्म नहीं तो आलिमों की सोहबत इख्तियार कर नसीहत हासिल करें और आखि़रत मजबूत करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!