इस्लामिक: जगह-जगह दीन पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा गूंज उठा है वजह ये है कि इस्लामी लड़कियों का नाजायज़ सम्बन्ध ग़ैर मुस्लिम लड़कों से ज़्यादातर होना शुरू हो गया है और नतीजा ये निकलता है कि सम्बन्ध के बाद विवाह और उसके बाद विवाद खड़ा हो जाता है। बता दें कि नाजायज़ सम्बन्ध के बाद हत्या करना या छेड़खानी कर के छोड़ देने का मामला ज़्यादातर सामने आता है। तकलीफ़ की बात ये है कि आजकल इस्लामी लड़कियां मोबाईल से नज़दीकी और दीन से दूरियां बनातीं नज़र आ रहीं हैं और इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वालिदैन हैं, अगर वालिदैन बेटियों को दीनी तालीम हासिल कराएं तो बेटियां ज़रूर नाजायज़ सम्बन्ध से बचती हुई नज़र आएंगी, लेकिन होता ये है कि मां-बाप अपनी प्यार जताने के लिए बेटियों को मोबाईल दे रहे हैं और बेटियां धीरे-धीरे व्हाट्स एप्प, फेसबुक व इन्स्टाग्राम के ज़रिए नाजाएज़ सम्बन्ध का शिकार हो रही हैं क्योंकि मां-बाप ने मोबाईल दिया, दीनी तालीम नहीं दिया। साथ ही साथ बता दें कि मज़हबे इस्लाम नें औरतों को क़ैद न किया बल्कि औरतों को हवस परस्तों की बुरी निगाहों से महफूज़ किया है इसलिए पर्दा को हिफ़ाज़त समझें मुसीबत नहीं। क़ुरआन पाक की सबसे पहले नाज़िल होने वाली आयत ये है कि ” पढ़ो, अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया ” इस आयत से ये तो वाज़िह है कि हम इल्मे दीन सीखें और अपने रब के नाम से शुरू करें। और इल्मे दीन सीख कर ख़ुद भी गुमराही से बचें और अपने अहल व अयाल को भी सीधा रास्ता दिखाने की कोशिश करें।
