ये दिल, ये जिगर है ये आंखे ये सर है।
जहां चाहो रख दो क़दम ग़ौसे आज़म।।
इस्लाम: मुस्लिमों में त्यौहार चांद के मुताबिक ही मनाया जाता है, हाल ही बीते सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार जश्ने वेलादते मुस्तफा के बाद सभी को ग़ौसे पाक के ग्यारहवीं शरीफ का इंतजार है। अब वो समय भी क़रीब आ गया है यानि 15 अक्टूबर को सम्पूर्ण देश में माहे रबीउस्सानी की चांद देखने की कोशिश की गई। देर रात भारत के बड़े मदरसा में शुमार दारुल उलूम अशरफिया मुबारकपूर आज़म गढ़ से तस्दीक़नामा जारी कर बताया गया कि 15 अक्टूबर को रबीउस्सानी की चांद न होने के मुताबिक़ 17 अक्टूबर को 1 रबीउस्सानी व 27 अक्टूबर दिन जुम्आ को 11 रबीउस्सानी (ग्यारहवीं शरीफ़) है।