सेवरही/कुशीनगर: सेवरही के मदरसा दारूल इशाअत में दो दिवसीय फैजाने कुरान व ख़्वातीने इस्लाम कांफ्रेंस व जश्ने दस्तारबन्दी सकुशल सम्पन्न हुआ। जिसमें नूरानी मिंया ने बेहतरीन ख़ेताब करते हुए कहा कि इज्जत व गौरव सिर्फ अल्लाह की जात के लिए है। वही जिसको चाहता है अता कर देता है जिसे चाहता है निम्न बना देता है। इंसान ज़िस्म रूह का संग्रह है, अगर जिस्म से रूह अलग हो जाए तो जिसम इंसान की हैसियत खो देती है फिर इंसान की गणना मय्यत (मृतक) के रूप में होती है जिसे खाक में मिलाने के लिए लोग बेचैन रहते हैं। जिस्म को कोई बीमारी लग जाए तो इलाज हेतु डॉक्टर के पास जाते हैं बीमारी दूर करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं क्या हमने कभी सोचा कि हमारी रूह भी बीमार होती है। जिसका इलाज अल्लाह की रजा़ के लिए सिर्फ और सिर्फ उसकी इबादत करना है। वही जलसे दस्तारबंदी को खिताब करते हुए मौलाना अजहरूल कादरी ने कहा कि जो लोग मस्जिदों और मदरसों को आबाद करते है अल्लाह तआला उनके घरों को आबाद करता है। उन्होने लोगो से कुरआन व हदीस पर चलकर अपनी ज़िन्दगी गुजारने की ताकिद करते हुए अपने बच्चों को दीनी तालिम के साथ साथ दुनियावीं तालीम दिलाने पर भी ज़ोर दिया। कार्यक्रम के दौरान रज़ा जामा मस्जिद के ईमाम व मदरसा दारूल इशाअत के शोबऐ हिफ्ज के सदर मुदर्रिस कारी मोहम्मद जिकरूल्लाह अशाअती कीसदारत में हाफ़िज़ शाकिर रज़ा, हाफ़िज़ दानिश रज़ा, हाफ़िज़ तौक़ीर रज़ा, हाफ़िज़ हामिद रज़ा, हाफ़िज़ अशरफ़ रज़ा, हाफ़िज़ लुक़मान, हाफ़िज़ मोहम्मद दानिश व हाफीजा साज़िया इमरान की दस्तारबन्दी करते हुए उन्हे फूल मालाओं से लाद ईनाम व सनद से नवाजा गया। जलसे की सदारत अध्यक्षता मौलाना मोहम्मद मतलूब कादरी व संचालन हाफिज व क़ारी गुलाम मुर्तजा शम्सी ने किया। इस दौरान जलसे को खिताब करने वालों में मुख्य रूप से हाफिज व कारी मोहम्मद सलीम रिजवी, मौलाना इक़बाल अमज़दी, मौलाना गुलाम मुस्तफा मिस्बाही, हाफ़िज हैदर अली आदि रहे। वही नात ख्वानी गुलाम नूरे मोजस्सम कादरी, मौलाना अरशद रज़ा नूरी, मोहम्मद मासूम रज़ा आदि ने बेहतरीन कलाम पेश करते हुए माहौल में ताजगी पैदा किया। क़ारी ज़िकरुल्लाह द्वारा पढ़ी गई नात “उसको भला क्या जलायेगीं जहन्नम की आग भी, महफूज़ जिसके सीने में कुरआन हो गया’’ को खूब सराहा गया। प्रोग्राम के अंत में सलातों सलाम के बाद दुआ मे विशेष तौर पर मूल्क की सलामती व पूरे दुनिया के इंसानी जान की हिफाज़त की दुआएं मांगी गई। उक्त अवसर पर मुख्य रूप से मदरसा कमेटी के प्रबन्धक शाकिर अली, सरपरस्त सफदर हुसैन खां, चेयरमैन प्रतिनिधि त्रिभुवन जायसवाल, सगीर अहमद, मो. शमीम, हबीबुल्लाह हाशमी, अरशद खान, सिकन्दर अली, मुन्शी अब्दुल मजीद, रियासत अली, पूर्व सभासद इमरान अजमेरी, मक्खन जायसवाल, अबुल हसन, सिराजुददीन हाशमी, इसरार अहमद, अरमान अजमेरी, मो0 इब्राहिम, डॉ मो0 खलील हाशमी, मो0 वसीम, शहनवाज हुसैन, इमरान अली, मुर्तुजा हुसैन, मो0 जहाँगीर आदि सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
जब तक नबी हाज़िर व नाजि़र हैं तब तक क़्यामत नहीं आ सकती : सैय्यद नूरानी मियां
