ख़त्मुल क़ुरआन के बाद, फुल – माला पहना पेश किया मुबारकबाद
(रज़ा हुसैन क़ादरी)
सेवरही/कुशीनगर: स्थानीय उपनगर के मदरसा दारूल इशाअत के परिसर में स्थित रज़ा ज़ामा मस्जिद में रमज़ान के मुबारक महीने की चाँद रात से चल रही नमाजे तरावीह उस्ताज़ुल हुफ्फाज़ हज़रत हाफ़िज़ व क़ारी मोहम्मद जिकरूल्लाह साहब के द्वारा 15 रमज़ान तक तरावीह के दौरान पुरा क़ुरआन पाक सुनाया गया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में मुसलमानों ने नमाज़े तरावीह अदा कर अल्लाह की बारगाह में दुआ मांगकर शुक्रिया अदा किया। नमाज अदा करने के उपरांत हाफिजे कुरआन व नमाजियों ने रब की बारगाह में जाने-अनजाने में हुए गुनाहों एवं गलतियों की दिल से माफी मांगी। दुआओं में अपने हाथों को उठा मुल्क में अमन व शांति की विशेष दुआएं मांगी गई। नगर पंचायत सेवरही के तुलसी नगर वार्ड में स्थित रज़ा ज़ामा मस्जिद में बाद नमाज़े इशा तरावीह के नमाज के बाद रोजेदारों एवं नमाजियों की उमड़ी भीड़ को खिताब करते हुए हाफ़िज़ व कारी मोहम्मद जिकरूल्लाह ने बताया कि इस्लाम अल्लाह का सबसे पसंदीदा दीन है और हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैह वसल्लम पुरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आये।

उन्होने कहा कि मोमिनों को चाहिए कि माहे मुबारक (रमज़ानुल मुकद्दस) में जहां तक हो सके लोग नेक अमल करके अपनी ज़िन्दगी को कामयाब बनाएं। रमजान का महीना बरकत व मगफिरत का महीना है। इस महीने में किये गये नेक अमल के बदले अल्लाह पाक की तरफ से सत्तर गुना सवाब अता किया जाता है। कारी जिकरूल्लाह ने पूरे माह में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज नमाज ए तरावीह के बारे विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि इस नमाज के दौरान हाफिज (कलामे पाक को मुकम्मल याद रखने वाले) कलाम पाक के पारे को रोजाना सिलसिलेवार पढ़ते है। कलामे पाक में कुल 30 पारा है। अध्याय पूरे होने को खत्म तरावीह कहते है। वही खत्म तरावीह के बाद रमज़ान के बाकी दिनों में सूरह तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है। यानि रमज़ान के पूरे माह में तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है। इस दौरान नमाज ए तरावीह के उपरान्त कारी मोहम्मद जिकरूल्लाह ने खुदा की बारगाह में दुआ मांगी की या अल्लाह हम सभी से जाने अनजाने में हुए गुनाहों को माफ कर, रोजी रोटी में बरकत अता फरमा, हराम कामों से बचा, पंचवक्ता नमाजी बना, रोजदारों की टूटी-फूटी इबादतों को कबूल फरमा, ईमान पर कायम रहने की कुव्वत अता फरमा, मुल्क व समाज में आपसी भाईचारगी व अमनों-अमान कायम अता फरमा। जिस पर रोजेदारों और नमाजियों ने आमीन सुम्मा आमाीन की सदाएं बुलन्द कर अल्लाह से अपने लिए दुआएं खैर मांगी। नमाज ए तरावीह व सलातों सलाम के उपरान्त फातिहा ख्वानी कर लोगो में शिरनी वितरण किया गया। उक्त अवसर पर मुख्य रूप से प्रबन्धक शाकिर अली, मौलाना माहताब आलम, मौलाना नुरुल्लाह सिद्दीकी, सरपरस्त सफदर हुसैन खान, सगीर अहमद, अशरफ अली, मो0 शमीम, हबीबुल्लाह हाशमी, सिकन्दर अली, रकीब आलम, मो0 इब्राहिम, सिराजुददीन हाशमी, डा0 रियान अहमद, शहीद कुरैशी, मोहम्मद अल्ताफ, डा0 मो0 खलील हाशमी, सद्दाम हुसैन, आतिफ खान, इमरान अजमेरी, मो0 आरजू, राजा अली, साहेब आलम सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।