भारत: मुफ्ती निज़ामुद्दीन रज़वी बरकाती (साबिक़ प्रिंसिपल अल् जामिअतुल अशरफिया, मुबारक पूर) फरमाते हैं कि “नए साल की मुबारकबाद देने का ये मतलब होता है कि ये साल आपके लिए मुबारक रहे, ख़ैर से गुज़रे, ये जाएज़ है क्योंकि दुआए ख़ैर है। हां अगर कोई अंग्रेजों के बनाए हुए महिना व साल की ताज़ीम के लिए कहे तो वह मकरूह है। मगर आमतौर पर मुसलमान ये नियत नहीं रखते बल्कि उनका मकसद दुआए ख़ैर होता है और उसमें कोई मुज़ाएक़ा नहीं।” (मलफूज़ाते सेराजुल फुकहा , 144) वायरल मैसेज में ये भी दिख रहा है कि हुज़ूर ताजुश्शरिआ़ मुफ्ती अख्तर रज़ा खान अज़हरी र.अ. फरमाते हैं ” नया साल मुबारक हो ” दुआ की नीयत से कहने में हर्ज नहीं। जबकि नक़ल न हो गैरों से और नक़ल की नियत भी न हो।
लेकिन हां याद रखें कि अंग्रेजी नया साल के चक्कर में अपनी अ़रबी तारीख़ को भूला न दें बल्कि हमेशा अपना मीआ़र क़ायम रखें। वैसे ही इस्लाम में सभी त्यौहार अ़रबी तारीख़ के अनुसार मनाए जाते हैं इसलिए कोशिश करें कि अपने मीआ़र (अ़रबी तारीख़) के मुताबिक हर काम करें व अपने नस्लों को अ़रबी तारीख़ से जोड़ने का काम करें।
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