शबे मेराज: मेराज की रात बहुत मुबारक वाली रात है क्योंकि इसी रात को हमारे प्यारे नबी मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम को मेराज नसीब हुआ (खुदा का दीदार हुआ)। तमाम मुसलमान इस मौक़ा पर रोज़ा (हज़ारी रोज़ा) व रजबुल मुरज्जब की 27वीं रात को इ़बादत करते हैं व गुनाहों से तौबा कर बेहतरीन मुसलमान (आशिक़े नबी) बनने की कोशिश करते हैं। हर जगह मस्जिदों व मदरसों में आलिमों व इमामों के द्वारा नबी का जिक्र कर अवाम के दिलों में नबी की मुहब्बत पैदा करने की कोशिश की जाती है। बता दें कि ऐसे ही जंगल शाहपुर रौज़ा के इमाम हज़रत मौलाना सलाहुद्दीन (खादिमुल इस्लाम पडरौनवी) नें कल 27वीं रजब की रात इशा बाद जिक्रे नबी की महफ़िल रचाया जिसमें इर्द-गिर्द के अइम्मा हज़रात व गांव के तमाम जिम्मेदार मुसलमान शामिल रहें।

महफ़िल में मस्जिद के इमाम मौलाना सलाहुद्दीन साहब नें नातख्वानी करते हुए अ़वाम को पैग़ाम दिया कि “नबियों का है इमाम मदीना शरीफ में, बंटता है फैज़े आ़म मदीना शरीफ में। हम सुन्नियों के सीने में अरमान है यही, जा कर पढ़ें सलाम मदीना शरीफ में।।” साथ ही ग्राम सभा गम्भीरिया के इमाम हाफ़िज़ कौसर ने लोगों को शबे मेराज का वाकिआ़ बयान किया व नातख्वानी करते हुए कहा कि ” मदीने से बुलावा आ रहा है, मेरा दिल मुझसे पहले जा रहा है। “ बादहू बेलवानी टोला के इमाम मौलाना बेलाल अहमद ने भी ” जिंदगी दी है तो जीने का सलीक़ा दे दे, मेरे मौला मुझे रहने को मदीना दे दे। क्या करूंगा गुलाब व चमन की खुश्बू, मुझको दो बूंद मुहम्मद का पसीना दे दे।।” पढ़ कर लोगों के दिलों को जीतने का काम किया। अख़ीर में इमामे रौज़ा ने बताया कि इस मह़फिल की ख़ास बात ये है कि अल्लाह तबारक व तआला ने इतना फज़ल किया कि हम सभी को नबी की उम्मत में पैदा किया व हमारे गुनाहों की मग़्फिरत के लिए पुरे साल में तीन ऐसी मुबारक रातें (शबे मेराज, शबे बरात, लैलतुल् क़द्र) बनाई जिसमें खुदा अपने नेक बंदो की दुआ़ कुबूल फ़रमाता है व बंदा अपने रब से जो चाहे मांगे उसे अत़ा फरमाता है जैसे – गुनाहों की मग्फिरत, रिज़्क की बरकत, बीमारियों से शिफा वग़ैरह। इसके बाद लोगों की हिफाज़त, ईमान की हिफाज़त, मुल्क की हिफाज़त व तरक्की के लिए दुआ़ की गई। इस अवसर पर कमेटी के जिम्मेदार मौलाना मेराज शम्सी, मौलाना ख़ुशमुह़म्मद, हाफ़िज़ रज़ा हुसैन (Editor: IYI NEWS INDIA) , मजीद मंसूरी, इसरायल मकनी, मास्टर मुमताज़ मंसूरी, दारोग़ा मंसूरी, तजीर सिद्दीक़ी, मुस्तक़ीम मंसूरी, अहमद मंसूरी, रिज़वान मंसूरी, सरफराज़ व अफ़रोज़ व तमाम गांव के आशिके़ नबी मौजूद रहे।