कुशीनगर: इस्लाम में हर त्यौहार चांद की तस्दीक के बाद ही मनाया जाता है, और पांच महीनों का चांद देखना वाजिबे किफाया है।
जिसमें : (शअ्बान, रमज़ान, शव्वाल, ज़िल्कअ्दा , ज़िल्हिज्जा) शामिल है। आपको बता दें कि 29 रजबुल मुरज्जब को पूरे भारत में चांद देखने की कोशिश की गई लेकिन बादल साफ ना होने के सबब हर जगह चांद नहीं देखा जा सका, लेकिन पूरे मुल्क की तहक़ीकात के बाद दारूलउलूम अशरफिया मिस्बाहुल् उ़लूम, मुबारकपूर आजमगढ़, ज़िला मऊ के तरफ से देर रात ये ऐलान आ़म किया गया कि 29 रजब की शाम को शअ्बानुल मुअ़ज़्ज़म का चांद नज़र आ गया है लेहाज़ा 31 जनवरी को 1 शअ्बान व 13 फरवरी को 14 शअ्बान (शबे बराअ्त) है। अवाम इसके हिसाब से अपना काम करे। 01 शअ्बान /31 जनवरी जुम्आ को छोटी मस्जिद सोहरौना में ख़ेताब करते हुए ह़ाफिज़ रज़ा हुसैन (Editor : IYI NEWS INDIA) ने बताया कि शअ्बान वो मुबारक महीना है जिसमें हमारे नबी कसरत से रोज़ा रखा करते थे और इस महीना ( शअ्बान) को पसंद भी किया और उनका महीना भी कहा जाता है। आगे बताया कि ये महीना क़ारियों का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीना में ज़्यादातर क़ुरआन पाक की तिलावते की जाती है। इस महीना के रोज़ा व इबादत का एक फायदा ये भी है कि रमज़ान के रोज़े व इबादत की प्रेक्टिस हो जाती है जिससे रमज़ान का रोज़ा रखने में आसानी होती है। साथ में ये भी बताया कि हम सभी को चाहिए कि इस महीना में ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करें, रोज़ा रखें, क़ुरआन पाक की तिलावत करें या कराएं, अपने मरह़ूमीन (सभी मरने वाले) के लिए ईसाले स़वाब (क़ुरआन ख़्वानी, फातिह़ा ख़्वानी, मीलाद ख्वानी व दुआ़ ख्वानी) का इंतजाम करें ताकि हमारे मरने वालों की बख़्शिश का ज़रीआ बन सके। आगे बताया कि हम सभी को चाहिए दुनिया की तमाम बुराइयों व ख़ुराफ़ात से बचने की कोशिश करें ताकि हमारे गुनाहों के बख़्शिश में आसानी हो। साथ ही साथ ये भी कहा कि शादी हो या बर्थ-डे हो या कोई सा भी फंक्शन हो हम सभी का दायित्व है कि किसी भी मौक़ा पर नाच, बाजा, भांगड़ा या कोई बुराई के चीज़ का इंतज़ाम ना करें और ना ही किसी को मजबूर करें। बादहू लोगों को बुराई से बचने, नेक काम करने, क़ुरआन पाक पढ़ने या पढ़ाने की नसीह़त दी गई। अख़ीर में नेकियां करने बुराइयों से बचने , बीमारियों से शिफा पाने व क़र्ज़ से मुक्ति पाने इत्यादि की दुआ़ की गई।