कुशीनगर: रमज़ान का मुबारक महीना चल रहा और लोग खूब नेकियां हासिल कर रहे हैं। इस मुबारक महीना में इबादत के अलावा भी कई ऐसे काम हैं जो हमारी नेकियों में इज़ाफ़ा का ज़रीआ बनते हैं। बता दें कि जुम्आ के दिन छोटी मस्जिद सोहरौना, कुशीनगर में हाफ़िज़ रज़ा हुसैन ने ख़ेताब के दौरान लोगों को आगाह किया गया कि ज़कात के अ़लावा रमज़ान में सदक़ए फितर (फितरा) भी मुसलमानों पर वाजिब है। जैसे – हुज़ूर ने फ़रमाया कि “ग़ुलाम व आज़ाद, मर्द व औ़रत, छोटे व बड़े मुसलमानों पर मुकर्रर की और फरमाया कि नमाज़ को जाने से पहले अदा कर दो।” (सह़ीह बुखारी व सह़ीह मुस्लिम) और आगे भी तिरमिज़ी शरीफ में मिलता है कि “हुज़ूर ने एक शख्स को भेजा कि मक्का की कूचों (गलियों) में ऐलान कर दें कि सदक़ए फितर वाजिब है।” आगे कहा गया कि- अबू दाऊद व इब्ने माजा व हा़किम इब्न अब्बास से रावी “हुज़ूर ने ज़काते फितर मुकर्रर फ़रमाया ताकि लग़्व (ग़लत) व बेहूदा कलाम (बात) से रोज़ा की तहारत (पाकी) हो जाए और मसाकीन की खोराक (खाने की चीज) हो जाए।” सबसे मशहूर बात ये है कि हज़रत अनस बिन मालिक से रवायत है कि हुज़ूर ने फ़रमाया “बंदा का रोज़ा आसमान व ज़मीन के दरमियान (बीच) मोअ़ल्लक (लटका) रहता है जब तक सदक़ए फितर अदा न करे।” लेहाज़ा इन सभी बातों का ख्याल रखते हुए पडरौना जामा मस्जिद से ऐलान किया गया है कि सभी मुसलमान हज़रात फी नफर (हर आदमी) रु65 सदक़ए फितर ज़रूर अदा करें और अगर मुमकिन हो व ख़ुदा ने माल व दौलत दिया हो तो इससे ज्यादा भी अदा कर सकते हैं। ज्यादा देने पर ज्यादा सवाब है। और अगर पैसा के अलावा अनाज अदा करना है तो वो भी कर सकते हैं जिसका मिक़दार नीचे है।
सदक़ए फितर की मिक़दार
गेंहू या उसका आटा – निस्फ साअ़् (2 किलो 47 ग्राम)
जौ या उसका आटा – एक साअ़् (4 किलो 94 ग्राम)
खुजूर या मुनक़्क़ा – एक साअ़् (4 किलो 94 ग्राम)