रज़ा हुसैन क़ादरी
कुशीनगर: रमज़ान का महीना है लोग खासतौर से रोज़ा के साथ-साथ तरावीह की नमाज़ अदा करते हैं और ख़ुदा से दुआएं भी करते हैं, इसमें तीन अशरे भी हैं जिनको रहमत, बरकत व मग़्फिरत के नाम से जानते हैं। लोग ख़ूब शौक़ से नमाज़े पंजगाना के साथ तरावीह अदा करते हैं। कहीं 10 दिन में, कहीं 15 दिन में और कहीं कहीं 21 दिन में तरावीह की नमाज़ में क़ुरआन मुकम्मल किया जाता है, बहुत ऐसे लोग हैं जो क़ुरआन को आराम से सुनना व सुनाना पसंद करते हैं तो 27वीं तक मुकम्मल किया जाता है जो कि सबसे बेहतर बताया गया है। रमज़ान में तरावीह की नमाज़ में एक क़ुरआन मुकम्मल करना सुन्नते मुअक्किदा, दो मुकम्मल करना फज़ीलत व तीन कुरआन मुकम्मल करना अफ़ज़ल बताया गया है। ये भी जिक्र है कि जितना मयस्सर हो रोज़ क़ुरआन पढ़ा जाए। और जितना हो सके नमाज़ क़ायम रखा जाए व ज़कात अदा किया जाए।

बता दें कि इसी पर अ़मल करते हुए छोटी मस्जिद सोहरौना कुशीनगर में 27 वी रात में नमाजे़ तरावीह में तकमीले क़ुरआन हुआ उसके बाद अवाम को नसीह़त करते हुए बताया गया कि नबी का फरमान है कि “क़ुरआन पाक पढ़ना व पढ़ाना सबसे बेहतरीन काम है।” जिसको जितना मयस्सर हो रोज़ पढ़ने की कोशिश करें। आगे ये भी बताया गया कि क़ुरआन पाक को पढ़ने से सवाब मिलता है और रमज़ान में और ज्यादा फज़ीलत हैं लेकिन सिर्फ सवाब के लिए ही न पढ़ा जाए बल्कि उसको समझकर उससे नसीहत (सबक़) हासिल किया जाए तब हमारी ज़िंदगी रौशन होगी। इसके अलावा तरावीह, रोज़ा व सदक़ए फितर के बारे में बता कर लोगों को आगाह किया गया। अख़ीर में फातिह़ा ख़्वानी हुई और गुनाहों से बचने, नेक आ़माल करने, मस्जिदों की हिफाज़त, नेक बंदो की हिफाज़त, मां व बहन-बेटियों की इज्जत व आबरू की हिफाज़त की दुआ की गई। बादहू मस्जिद में आए लोगों ने हाफ़िज़ रज़ा हुसैन को फूल-माला पहना कर मुबारकबाद दिया। उक्त अवसर पर हाफ़िज़ मुईनुद्दीन अ़ली , मास्टर ह़फीज अंसारी , जिब्राईल अंसारी , मास्टर मुस्तफा अंसारी , तुफैल अंसारी , मंसूर अली (मोअ्तकिफ) , फखरे आलम, आ़लम अंसारी, डॉ० ग्यासुद्दीन अंसारी, अय्यूब अंसारी, मुईनुद्दीन अंसारी, सद्दाम हुसैन, नौशाद आलम, हातिम अली , आरिफ रज़ा, आज़ाद अंसारी, कलीम अंसारी व तमाम मुक्तदी मौजूद रहे।