इस्लाम: हज़रत सैय्यद अब्दुल क़ादिर जीलानी र.अ. जीलान नामक शहर में एक रमज़ान 470 हिजरी में बरोज़ जुम्आ मुबारक को पैदा हुए। आपकी वेलादत के वक्त बहुत से हैरतअंगेज़ वाक़िआत पेश आए। सबसे बड़ी बात ये है कि जब आप दुनिया में तशरीफ लाए तो आपके वालिदा (माँ) उम्मुल ख़ैर फा़तिमा र.अ. की उम्र साठ वर्ष की थी। आम तौर पर लोग इस उम्र में औलाद से नाउम्मीद हो जाते हैं। मुनाक़िबे ग़ौसिया में शैख़ शहाबुद्दीन शोहरवर्दी र.अ. से मन्क़ूल है कि सैय्यदना अब्दुल क़ादिर जीलानी (ग़ौसे पाक) की वेलादत के वक्त ग़ैब से पांच अज़ीमुश्शान करामतों का ज़ुहूर हुआ।
(1)- जिस रात आप पैदा हुए उस रात आपके वालिद माजिद (पिता) हज़रत सैय्यद अबू सालेह़ ने ख़्वाब में देखा कि सरवरे कायनात मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक साथ सहाब-ए केराम, अइम्मतुल हुदा व औलियाए एज़ाम उनके घर जलवा अफ़रोज़ हैं और इन अल्फ़ाज़ से उनको ख़ेताब फ़रमाया और बशारत से नवाज़ा ” ऐ अबू सालेह़! अल्लाह तआ़ला ने तुमको ऐसा फरज़न्द (बेटा) अता फरमाया है जो वली है, मेरा बेटा है, वह मेरा और अल्लाह तआ़ला का महबूब है और अन्क़रीब उसकी औलिया अल्लाह और एक़ताब में वह शान होगी जो अम्बिया व मुरसलीन में मेरी शान है।
(2)- हज़रत ग़ौसे आज़म पैदा हुए तो आपके शान-ए मुबारक पर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के क़दमे मुबारक का नक़्श मौजूद था जो आपके वलिए कामिल होने की दलील था।
(3)- आपके वालिदैन (मां-बाप) को अल्लाह तआ़ला ने आलमे ख़्वाब में बशारत दी की जो लड़का तुम्हारे यहां पैदा होगा वो सुल्तानुल् औलिया होगा उसका मुख़ालिफ़ गुमराह और बद-दीन होगा।
(4)- जिस रात आपकी पैदाईश हुई उस रात जीलान शरीफ की जिन औरतों के यहां बच्चा पैदा हुआ उन सबको ख़ुदा ने लड़का ही अता फरमाया और वह हर लड़का अल्लाह का वली बना।
(5)- आपकी वेलादत माहे रमज़ानुल् मुबारक में हुई और पहले ही दिन से रोज़ा रखा, सेहरी से लेकर अफ्तारी तक आप वालिदा मोहतरमा (मां) की दूध न पीते थे।