रज़ा हुसैन क़ादरी
कुशीनगर: पडरौना अंतर्गत स्थित खिरियाटोला के निजामी जामा मस्जिद में हाफ़िज़ व क़ारी उमर निज़ामी साहब ने अपने खूबसूरत अंदाज व लेहजा में 27 दिन की तरावीह पढ़ा कर लोगों के दिलों को जीतने का काम किया है। उस मुकद्दस रात (शबे कद्र) में प्रोग्राम का आयोजन हुआ जिसमें मौलाना तौकीर बरकाती ने क़ुरआन की फजीलत बयान किया। उन्होंने कहा कि क़ुरान शरीफ अल्लाह का कलाम हैं, हिदायत का सामान हैं, सिराते मुस्तकीम है, अल्लाह की रहमत है, इसकी रौशनी में इंसान अपनी ज़िन्दगी का मकसद समझता है इसके वसीले से बन्दा अपने रब से कलाम करता है, यह रूह की ग़िज़ा और दिल की शिफा,अक्ल की रहनुमा, इल्म का खज़ाना, आँखों का नूर, दिन का चैन व सुरूर और चिरागे मंज़िल हैं।इसकी बदौलत मोमिनो मुत्तकियो और अल्लाह के नेक बन्दों को खुदा की मुहब्बत नसीब होती हैं क़ुरान से बन्दा अपने रब के करीब होता हैं उसे रूहानी सुकून और अपनी ज़िन्दगी में मिठास नसीब होती हैं जिसे लफ्ज़ो में बयां नहीं किया जा सकता।

क़ुरान मजीद की तिलावत की बरकत से मोमिनो को इज़्ज़त, रहमते इलाही और कामयाबी नसीब होती हैं एक मोमिन बन्दा जब क़ुरान की आयतो को पढ़ता या सुनता हैं जिसमें अल्लाह पाक ने अपने बन्दों को तरह तरह की नेअमतें अता फरमाने का वादा फ़रमाया है तो उसकी रूह ख़ुशी के मारे झूम उठती है और जब उन आयतो को पढ़ता या सुनता हैं जिसमे उसने नाफ़रमानो को सज़ाये देने का बयां फ़रमाया हैं तो वह ख़ौफ़े इलाही से कांपने लगता हैं आँखों से आंसुओ की झड़ी लग जाती हैं। घर चाहे जितना खूबसूरत और आबाद हो लेकिन अगर उसमे क़ुरान की तिलावत न होती हो तो वह घर अल्लाह की नज़र में खंडहर और वीरान घर कहलाता हैं। इसके अलावा शबे कद्र व रमज़ान की भी फज़ीलत (सराहना) की गई। बादहू लोगों ने तोहफ़ा पेश कर मुबारकबाद दिया। इस दौरान नाजिमे आला नियाजुल हक, मास्टर नबीबुल्लाह, रईस अंसारी, ईश आलम अंसारी, ताहिर, आजाद, इरफान, शोऐब, अरशद, तबरेज, असलम व तमाम गांव के नमाज़ी मौजूद रहे।