खुशियों का सफर तो ग़म से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है।

रज़ा हुसैन क़ादरी

इस्लाम: सबसे पहले आपको IYI NEWS INDIA के तरफ से अरबी नया साल 1446 हि० की मुबारकबाद पेश है करते हैं। अरबी तारीख़ की इस्लाम में अहम भूमिका है क्योंकि अरबी तारीख़ के मुताबिक ही इस्लाम में सभी त्यौहार मनाया जाता है, और अरबी तारीख़ कोई मुत‌अय्यन तारीख़ नहीं बल्कि चांद पर निर्भर है। हर महीने में 29 तारीख को चांद देखने की कोशिश होती है, और अगर कहीं से चांद होने की तस्दीक़नामा मिल जाता है तो 29 के बाद 1 तारीख होता है वरना 30 तारीख के बाद 1 होता है, ये ख्याल रहे कि अंग्रेजी महिनों की तरह अरबी की 31 तारीख नहीं होती। इस्लाम में पांच महीनों (श‌अ्बान, रमज़ान , शव्वाल, ज़िल्काअ्दा व जिलहिज्जा) का चांद देखना वाजिबे किफाया है। साथ ही साथ बता दें कि 29 ज़िल्हिज्जा 1445 हि० बमुताबिक़ 6 जुलाई 2024 को हिंदुस्तान में चांद देखने की कोशिश की गई लेकिन कहीं से तस्दीक़नामा नहीं मिला लेहाजा देर रात हिंदुस्तान की अज़ीम एदारा जामिया अशरफिया मुबारकपूर आज़म गढ़ से लेटर पैड के द्वारा ये ऐलान किया गया कि 29 ज़िल्हिज्जा को कहीं से चांद होने की शर‌ई सबूत हासिल नहीं हुआ इसलिए 7 जुलाई/इतवार को 30 ज़िल्हिज्जा व 8 जुलाई/सोमवार को 1 मुहर्रम 1446 हि० (अरबी का नया साल) है। और यौमे आशूरा/10 मुहर्रम (17 जुलाई/बुधवार) को है। अवाम इस्लामी तरीके़ से जिक्रे शोहदाए कर्बला करे व अपने अंदर ख़ुदा की राह में इस्लाम के लिए कुर्बानी देने को तैयार रहे।

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