कुशीनगर: आज का मुसलमान फुज़ूल खर्च करने में माहिर है यानि बग़ैर ज़रुरत पैसा उड़ाने में बिल्कुल गुरेज़ नहीं करता , शौक़ से शैतानी दिमाग़ लगा कर अपने माल व दौलत (पैसा) को बर्बाद करता है लेकिन जब भी मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रिस्तान या इमाम का तनख्वाह या नज़राना देने की बात होती है तो लोग अपनी सारी परेशानियां गिनाने व अपनी ग़रीबी दिखाने लगते हैं। क़ुरआन पाक में साफ़ कहा गया है कि “फुज़ूल खर्च न करो और बेशक फुज़ूल उड़ाने वाले शैतान के भाई हैं। ” (17:26, 27) लेकिन फिर भी अवाम इस बात को नज़र अंदाज़ करते नज़र आती है।
हाल ही में प० चम्पारण (बिहार) से कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में आई बारात में कुछ ऐसा ही मामला देखा गया, बता दें कि दुल्हे की बारात में नोटों के माला के अलावा भांगड़ा, पटाखा व कैमरा वग़ैरह का खू़ब शौक़ से इंतज़ाम था। लेकिन जब निकाह के बाद नज़राने की बात आई तो बहस करने लगे लोग, इससे ज्यादा अफसोस तो तब हुआ जब बारात आए हुए कुछ अइम्मा (मौलवी) जो फुज़ूल खर्च को कम न करा सके, वो इमाम के नज़राना को कम कराने लगे। बारातियों को खूब साफ-साफ बताया गया कि बारात के साथ इतना टंट घंट (भांगड़ा, कैमरा, पटाखा वग़ैरह) लाने में अफसोस नहीं हुआ और इमाम को निकाही नज़राना देने में अफसोस क्यों हो रहा है?
इमाम ने ये भी कहा कि आप कम खर्च में निकाह कीजिए, नज़राना भी कम दीजिए कोई गुरेज नहीं, लेकिन इतना फज़ूल खर्च करने में अफसोस नहीं हुआ और नज़राना अदा करने में बहस करने लगे, अफसोस होने लगा?
साथ ही हाफ़िज़ रज़ा हुसैन क़ादरी ने ये भी कहा की बग़ैर फुज़ूल खर्च के संजीदगी वाली बारात लाएं, खुशी – ख़ुशी फ्री में निकाह पढ़ाया जाएगा। लेकिन बारात में आए कुछ मौलवी बात काट कर नज़राना कम कराने में कामयाब रहे।
मुसलमानों से कुछ सवालात……
1- फुज़ूल खर्च को कम नहीं करा पाने वाले लोग नज़राना क्यों करा रहे कम?
2- अवाम हर जगह बिना सोचे-समझे फुज़ूल खर्च कर देती है, लेकिन मस्जिद, मदरसा, ईदगाह या इमाम को नज़राना देनें में क्यों सोचते हैं लोग?
3- अगर वाकई ग़रीब है तो शादी या किसी दुनियावी मौक़ा पर कम खर्च करे, अपनी ग़रीबी सिर्फ दीन के काम में क्यों?
4- फुज़ूल खर्च (नाच, बाजा, पटाखा, कैमरा, वग़ैरह) करने में अफसोस नहीं हो रहा लेकिन इमाम का हक़ देने में क्यों है अफसोस?
5- हमारे पास अगर खुदा ने माल व दौलत दिया है तो दीन के काम काहिली क्यों?
उम्मीद है कि बात समझ आई होगी, आइए सब मिलकर फुज़ूल खर्च रोकें व कम करें और खुदा की राह में खर्च करने की आ़दत बनाएं।